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Showing posts from April, 2017

प्रकृति के नियम

प्रकृति के नियम अद्भुत हैं। एक ओर जहां मंगल ग्रह का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश वैश्विक परिदृश्य में हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले कई कारकों में एक वहीं दूसरी तरफ सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश ( 25th May' 2017 ) बारिश की भूमिका तैयार करने वाले प्रमुख कारकों में से एक । सूर्य के इस नक्षत्र में प्रवेश के बाद अगस्त्य तारा अस्त हो जाएगा और वर्षा ॠतु के स्वागत की तैयारी आरंभ करेगा। वैश्विक परिदृश्य में हिंसक होती स्थिति में full fledged war की संभावना तो नही है पर हमारे सामने कुछ hot spots / flash points हैं,जिनपर सबकी नजर होगी,वो हैं - 1- भारत के सन्दर्भ में कश्मीर,major flash point रहेगी । कश्मीरी youths को involve करने की कोई policy फिलहाल नहीं है।ऐसा प्रतीत होता है मानों day by day govt. has just loosing Kashmir. दूसरा flash point है नक्सलियों के साथ dealing को लेकर। अभी तक कोई strong strategy नहीं है।सिर्फ और सिर्फ डंडे से deal करना है।यह अच्छा नहीं है क्योंकि जहाँ तक उनकी पहुंच है वहाँ तक हम सोच भी नहीं सकते। Pro active strategy नहीं है कोई भी । Economically बहुत

MUNDANE ASTROLOGY

मंगल के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के समय शनि का मूल नक्षत्र में होना और उसी वक्त चंद्रमा का भी रोहिणी नक्षत्र में होना फिर से भारत के साथ साथ वैश्विक परिदृश्य में war like situation को सक्रिय करने वाला,हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने वाला तो है ही साथ ही साथ 29 अप्रैल को सुबह सात बजे के बाद प्राकृतिक आपदा का संकेत भी है।कुल नौ ग्रहों में से आठ ग्रहों का एक साथ गठजोड़ बनाना प्रकृति को असंतुलित करनेवाला मेल है। हालांकि परिस्थितियां अच्छी नहीं हैं परन्तु कभी कभी दूरगामी अच्छे परिणाम के लिए कठोर कदम उठाने पड़ते हैं। इस समय उठाए गए कदम से ऐसा ही संकेत है।

MUNDANE ASTROLOGY

2017 में अभी तक 72 सुरक्षा कर्मियों की मौत माओवादियों द्वारा किए गए गतिविधियों से हुई हैं। देश की सीमा पर भी स्थिति गंभीर है। राज्यों के अंदर भी अराजक तत्व सक्रिय हैं।आने वाले समय में भी खासकर जुलाई से दिसम्बर तक का महीना astrologically इन तत्वों का समर्थन करता हुआ दिखता है ।अब ऐसे में सवाल यह है कि देश के स्वास्थ्य में दिन व दिन होने वाली गिरावट का उपचार कब ?  Astrologically - भारत की दशा और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के अनुसार अब समय आ गया है जब इसके ऊपर कोई कानून बनाया जाएगा। मई से जुलाई '2017 तक का महीना इस दिशा में सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई करने और कानून बनाने की शुरुआत करने का संकेत दे रहे हैं।

MUNDANE ASTROLOGY

चिन्मय मिशन में अभी अभी संपन्न हुए convocation में महेश गिरि साहब ने मंच पर से किसानों द्वारा किए जा रहे आत्महत्या एवं ज्योतिषशास्त्र द्वारा इस क्षेत्र में काम की चर्चा की ।इसी के मद्देनजर मैंने सबसे पहले चैत्र शुक्ल प्रतिपदा '2017 की कुंडली के साथ एक दो और बातों का विश्लेषण किया है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा - 28-March-2017 / 8:27:03 / Delhi मेष लग्न - 25:34 , Moon - 13:31( मीन राशि ) इस कुंडली के आधार पर मेरी observation निम्नलिखित हैं ( सिर्फ कृषि / फसल को लेकर ) 1- यहाँ चतुर्थ भाव पर अष्टमेश मंगल की दृष्टि है। चतुर्थेश ,चंद्रमा द्वादश भाव में है। इसके साथ ही साथ चतुर्थेश चंद्रमा ,सूर्य की कक्षा से ,मीन राशि में गोचर कर रहा है और भारत की कुंडली में मीन राशि में न तो सूर्य के प्रस्तारक में चंद्र ने बिंदु दिया है और न ही चंद्र के प्रस्तारक में सूर्य ने बिंदु दिया है। इसके वैसे तो कई अन्य संकेत हैं पर यहाँ बात कृषि को लेकर है और फसल को लेकर अच्छा संकेत नहीं मिलता है । 2- इस कुंडली के आधार पर बनाए गए सप्तनाड़ी चक्र के अनुसार अपेक्षाकृत कम बारिश का संकेत मिलता है।मेघ तो बनेंगे प

मौसम

मौसम ने करवट ली है। मौसम विभाग ने तेज बारिश और ओले पड़ने की स्थिति बताई है।  Astrologically.. कल शाम से लेकर 25 तारीख तक मौसम के ठंड रहने का संकेत है परन्तु बुध का वक्री होकर सूर्य के साथ पवन नाड़ी में होना जहाँ एक ओर तेज हवा और आँधी का संकेत देते हैं वहीं दूसरी तरफ मंगल का प्रचंड नाड़ी में और वक्री शनि का दहन नाड़ी में होना तापमान में बहुत अधिक गिरावट नहीं का संकेत देते हैं बल्कि humidity को बढ़ाने का संकेत दे रहे हैं।

रामचरितमानस से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास.....

" कनक कोट विचित्र .... चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारू पुर बहु विधि बना ..... अति लघु रूप धरौं निसि नगर करौं पइसार .... कह हनुमंत सुनहु प्रभु ससि तुम्हार प्रिय दास " कोट चक्र का वर्णन और चंद्र नक्षत्र से प्रवेश की चर्चा। कोट चक्र पर काम करते हुए हमारे मन में यह बात हमेशा आती रही कि प्रवेश के लिए चंद्रमा का ही नक्षत्र क्यों ? राशियों के स्वामी और राशियों से ही क्यों नही ? अग्नि पुराण में प्रवेश के लिए सूर्य के नक्षत्र की चर्चा है फिर अब चंद्र का नक्षत्र क्यों ? जवाब मिला रामचरितमानस से। हनुमान जी लंका में प्रवेश करने से पहले सोच रहे हैं कि अगर सशरीर प्रवेश करता हूँ तो पहचान लिया जाऊंगा।इसलिए अति लघु रूप,अणिमा सिद्धि ( नक्षत्र ) बनाया । अब यह नक्षत्र,चंद्र नक्षत्र ही है ये कैसे जाने ? इसे भी यह कहकर बता दिया कि प्रभु आपका जो ये सेवक है यह ससि ( चंद्रमा ) है । कोट चक्र को समझने में आइंस्टीन के theory of relativity ( यह theory पूरा का पूरा वही है जिसकी चर्चा विष्णु पुराण के काल निर्णय में की गई है ),ने भी बहुत मदद की। रामचरितमानस,अग्नि पुराण,विष्णु पुराण,theory o

रामचरितमानस में निहित ज्योतिष

रामचरितमानस के माध्यम से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास - " ससि केसरी गगन बन चारी । मारेउ राहु ससिहिं कह कोई। । उर महँ परी स्यामता सोई ।। कोउ कह बिधि रति मुख कीन्हा । सार भाग ससि कर हर लीन्हा ।। " ससि - चंद्रमा केसरी - सिंह राहु उर - chest area स्यामता - काला ध्ब्बा रति - शुक्र हर - क्षय अर्थात् हम कह सकते हैं कि सिंह राशि में चंद्र और राहु का साथ हो या चंद्र,राहु,शुक्र का साथ हो तो क्षय रोग या फेफड़े से संबंधित बीमारियाँ हो सकती हैं ।