Ramcharitmanas and Astrology

रामचरितमानस के माध्यम से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास -
अहल्या की कहानी सभी को पता है। गौतम ॠषि का स्नान करने जाना,देव इंद्र का आना और बुद्धि ,विवेक ( बुध ) ने अहल्या का साथ छोड़ा ।देवराज इंद्र को ॠषि गौतम समझना और गौतम ॠषि के श्रापवश अहल्या का पत्थर हो जाना ,मूढ़ हो जाना ,फिर भगवान राम के चरण स्पर्श से वापस अपने स्वरूप में आकर गतिशील होना।
ज्योतिषशास्त्र में एक योग है -" बुध और सूर्य के नजदीक होने से व्यक्ति में सभा जडता / मूढ़ता आता है। "
सूर्य को अन्य कई रूपों के अलावा देव ,राजा के रूप में भी जाना जाता है। उसी तरह इंद्र को भी देव और राजा के रूप में जाना जाता है। यहाँ अहल्या के पास इंद्र देव का काम ( शुक्र) जाग्रत हुआ।अहल्या भी अविवेकी हुई।क्या यहाँ हम ऐसा कह सकते हैं कि बुध और सूर्य की नजदीकी,तुला राशि में जब हो तब सभा जडता और मूढ़ता का योग बने।
भगवान राम ( सूर्य वंशी )के चरण ( मीन राशि) स्पर्श से अहल्या की मूढ़ता /सभा जड़ता का खत्म होना अर्थात् हम कह सकते हैं कि बुध और सूर्य की नजदीकी जब मीन राशि में हो तो सभा जड़ता / मूढ़ता नहीं बल्कि विवेकी होना ,गतिशील होने का योग बने।

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