RAMCHARITMANAS AND ASTROLOGY

रामचरितमानस के माध्यम से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास ...
प्रख्यात ज्योतिषशास्त्री वराहमिहिर ने कहा " कुजेन्दुहेतु प्रतिमासार्थवम् "
इसे ही अमेरिकी Cecil's Book Of Medicine ने physiology of mensturation में कहा " infradion rhythm,include the gravitational influence of the moon ,which gives rise to the menstrual cycle "
इन दोनों के इस कथन की पुष्टि रामचरितमानस से ..
" सृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा । पुत्रकाम शुभ जग्य करावा ।।
भगति सहित मुनि आहुति दिन्हें । प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें ।।
महाराज दशरथ पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लेकर गुरु बसिष्ठ के पास जब जाते हैं तो बसिष्ठ रिषि खुद भी पुत्र कामेष्टि जग्य करा सकते थे परन्तु उन्होंने सृंगी रिषि को बुलाया।
चाँद के दोनों सिरों को सृंग भी कहा जाता है अर्थात् सृंगी से यहाँ तात्पर्य चंद्र से है और कैसा चंद्र ? सृंग वाला अर्थात् पूर्णिमा या अमावस्या का नहीं।मतलब ऐसा चंद्र जो न तो सूर्य से दृष्ट हो और न ही सूर्य के साथ हो ।
अगिनि - मंगल , अर्थात् चंद्र,मंगल का संबंध।
अर्थात् हम कह सकते हैं कि पूर्णिमा या अमावस्या को छोड़कर चंद्र और मंगल का संबंध बने तो स्त्री में ऐसा रज गर्भधारण करने में सफल हो।

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