रामचरितमानस से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास ..
लंका दहन के समय हनुमान जी का dual mind हो जाना, दोहरी मानसिकता से गुजरना ,सीता जल जाएगी या बच जाएगी को लेकर ..
हनुमान .. Moon
अर्थात्,Dual mind = Moon
फिर जैसे ही राम नाम का सहारा लिया,संभल गए
राम = Sun
अर्थात् , हम कह सकते हैं कि ,
चंद्र जब सूर्य से दृष्ट हो या सूर्य की राशि में हो तो dual mindedness से बचाव ..
अर्थात्,Dual mind = Moon
फिर जैसे ही राम नाम का सहारा लिया,संभल गए
राम = Sun
अर्थात् , हम कह सकते हैं कि ,
चंद्र जब सूर्य से दृष्ट हो या सूर्य की राशि में हो तो dual mindedness से बचाव ..
हनुमान जी,सीता जी को याद करके दोहरी मानसिकता का शिकार होते हैं ..
हनुमान = moon
सीता = mars
सीता = mars
अर्थात् Moon / Mars का योग अगर दोहरी मानसिकता देने वाला है तो इस योग से सूर्य का संबंध इस मानसिकता से बाहर निकालने वाला ..
Krishna-ji,
ReplyDeleteSome difference in opinion here. I would equate Hanuman with Mars, a fiery planet. Ram with Sun (as you have written) and Sita with - I don't know, but could be Moon.
Rest part - Mars in dual mind and get steady by aspect of Sun is a good deduction.
regards
Chakraborty
नमस्ते
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका आपके view point से अवगत कराने के लिए .
हनुमान जी की चर्चा रामचरितमानस में कई जगह moon के रूप में की गयी है .
सीता जी भूमि सुता हैं इसलिए मैंने mars लिया है .
regards
krishna
Thanks. Now it is clear to me. But most people who want to placate Mars or placate Sani indirectly, worship Hanuman. This is more so in Bihar. Also Sita Devi did not destroy Lanka with fire but Hanuman did. It is not clear how Moon can burn.
ReplyDeleteWith regards
Chakraborty
regards
Chakraborty
नमस्ते
ReplyDeleteमैं रामचरितमानस में निहित ज्योतिष को समझने हेतु प्रयास रत हूँ .
मेरी समझ के अनुसार ..
सीता ( mars ) , के आस पास हर वक़्त त्रिजटा नाम की राक्षसी रहती है .
त्रिजटा .. saturn
अर्थात , शनि और मंगल का साथ आग लगाने वाला नहीं ..
हनुमान ( moon ) के साथ राम ( sun ) का आशीर्वाद है , सीता ( mars ) का भी आशीर्वाद है ..
अर्थात , चंद्र , सूर्य और मंगल का योग आग लगाने वाला ..
regards,
Krishna