रामचरितमानस के माध्यम से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक प्रयास ..
मानस में कई जगह हनुमान जी की चर्चा चंद्र के रूप में की गई है . एक जगह तो खुद हनुमान जी ही इसे स्वीकारते हुए कहते हैं की आका यह सेवक ही चंद्र है . सीता जी भूमि सुता हैं ,मंगल हैं .
फिर मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब सीता जी मंगल हैं तो लंका दहन का काम खुद करने में सामर्थ्य हैं फिर यह काम हनुमान जी ,चंद्र के द्वारा कैसे ? आग लगाने का काम चंद्र से कैसे ??
मेरी समझ के अनुसार ..
सीता ( mars ) , के आस पास हर वक़्त त्रिजटा नाम की राक्षसी रहती है .
त्रिजटा .. saturn
अर्थात , मंगल और शनि का साथ आग लगाने वाला नहीं ..
हनुमान ( moon ) के साथ राम ( sun ) का आशीर्वाद है , सीता ( mars ) का भी आशीर्वाद है ..
अर्थात , चंद्र , सूर्य और मंगल का योग आग लगाने वाला ..
फिर मन में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि जब सीता जी मंगल हैं तो लंका दहन का काम खुद करने में सामर्थ्य हैं फिर यह काम हनुमान जी ,चंद्र के द्वारा कैसे ? आग लगाने का काम चंद्र से कैसे ??
मेरी समझ के अनुसार ..
सीता ( mars ) , के आस पास हर वक़्त त्रिजटा नाम की राक्षसी रहती है .
त्रिजटा .. saturn
अर्थात , मंगल और शनि का साथ आग लगाने वाला नहीं ..
हनुमान ( moon ) के साथ राम ( sun ) का आशीर्वाद है , सीता ( mars ) का भी आशीर्वाद है ..
अर्थात , चंद्र , सूर्य और मंगल का योग आग लगाने वाला ..
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