RAMCHARITMANAS

कितने प्रकार के पुरूष ??
रामचरितमानस में बहुत ही सुंदर वर्णन -
" संसार मह पुरूष त्रिविध पाटल रसाल पनस समा ।
एक सुमनप्रद एक सुमन फल एक फलइ केवल लागहीं ।
एक कहहिं कहहिं करहिं अपर एक करहिं कहत न बागहिं ।।""
तीन प्रकार के पुरूष - पाटल ( गुलाब ) रसल ( आम ) पनस ( कटहल ) के समान।
एक सुमनप्रद , गुलाब के जैसे ( गुलाब में केवल फूल लगते हैं फल नहीं लगते ) अर्थात् सिर्फ कहते हैं करते नहीं।
एक सुमन फल , आम के जैसे ( फूल और फल दोनों लगते है ) अर्थात् कहते भी हैं और करते भी हैं।
एक करहिं कहत न बागहिं , कटहल के जैसे ( फूल नहीं लगते सिर्फ फल लगते हैं ) अर्थात् कहते कुछ नहीं करके दिखा देते हैं,फल दिखा देते हैं।
बहुत ही सुंदर व्याख्या !!

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