रामचरितमानस में निहित ज्योतिष

रामचरितमानस के माध्यम से ज्योतिषशास्त्र को समझने का एक और प्रयास -
" ससि केसरी गगन बन चारी ।
मारेउ राहु ससिहिं कह कोई। । उर महँ परी स्यामता सोई ।।
कोउ कह बिधि रति मुख कीन्हा । सार भाग ससि कर हर लीन्हा ।। "
ससि - चंद्रमा
केसरी - सिंह
राहु
उर - chest area
स्यामता - काला ध्ब्बा
रति - शुक्र
हर - क्षय
अर्थात् हम कह सकते हैं कि सिंह राशि में चंद्र और राहु का साथ हो या चंद्र,राहु,शुक्र का साथ हो तो क्षय रोग या फेफड़े से संबंधित बीमारियाँ हो सकती हैं ।

Comments

  1. Krishna-ji,

    Very good analysis. BTW, there was a Belief earlier that excess indulge in sexual activity (Rati) can create Kshayarog or TB. Rati can also mean that, besides meaning Shukra.

    regards

    Chakraborty

    ReplyDelete
  2. शुक्रिया चक्रवर्ती जी। आपने अच्छी जानकारी दी।

    Regards
    Krishna

    ReplyDelete

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